
Apravyakti
By Aprajeeta Singh

Apravyakti Sep 16, 2023

Bournvita चोरी हो गया !
"I don't like milk" that's the case for so many kids, be it of any age. I was no different. Even though I am still a member of the "I hate milk" community, I take it in other forms now. In childhood, parents try various additional milk supplements to make their kids drink milk. Bournvita, Milo, and Horlicks were very famous in my times, but I loved eating them in powdered form rather than mixing them in milk. This episode captures one of my childhood memories of when I used to eat Bournvita secretly with my brother.
Do write such interesting instances of your childhood in your diary to keep your memories with you and if you like to share with others, you can send me a collaboration request on my insta handle - aprajeetaasingh.
Also, I'm pausing my "Ek Tha Bachpan" series on the podcast and will be resuming it on my website - http://aprajeetasingh.com/. I will be sharing the audio as well to give you the feel of the energy and emotions with which I'm writing the same. Keep listening to "Apravyakti" for my stories and poetries.

सेव प्रेम
सेव मुरमुरे, सेव पूरी, सेव चाट, सेव की सब्जी, सेव के पराठे और न जाने क्या-क्या सेव की dishes खाने को मिलती हैं, इंदौर - उज्जैन में। आज का किस्सा है मेरे बचपन में सेव के प्रति मेरी आसक्ति के बारे में। सुनिए मेरे बचपन के इस किस्से को याद कीजिए अगर बचपन में आपको भी किसी खाने की चीज का ऐसा ही क्रैज़ था तो।
आप मुझसे अपनी बचपन की ऐसी किसी याद को साझा करने के लिए जुड़ से मुझसे मेरे insta handle पर - https://instagram.com/aprajeetaasingh

कैसे खाऊँ रोटी? रोटी में भैया का चेहरा दिखता है !!!
रोटी में भैया का चेहरा दिखना, चंदा मामा का रास्ते भर साथ चलना, किसी और मार पड़ने पर भी रोना शुरू कर देना, और न जाने ऐसे कितने अफलातूनी ड्रामे किये हैं मैंने बचपन में। उसी तरह मेरी चौथी कक्षा की एक रुचिकर बचपन की याद है जिसकी कहानी मैं आपसे इस एपिसोड में शेयर कर रही हूँ। सुनिए और याद कीजिये की आपके बचपन को कौनसी ऐसी याद है जो इसी तरह से अब बहुत लुभाती है।
आप मुझसे सीधे जुड़ सकते हैं मेरे इंस्टाग्राम हैंडल पर - https://instagram.com/aprajeetaasingh

एक पर्सेंट की कीमत तुम क्या जानो टीचर बाबू !!!
मेरे बचपन के अनूठे किस्से को बयां करता हुआ ये "एक का बचपन" का तीसरा एपिसोड जो मेरे अव्वल आने के जुनून से ओत-प्रोत है। शुरुआत से शुरुआत करने में तो सभी को बहुत डर लगता है, क्योंकि फिर अपना मुकाम पाने में समय भी तो बहुत लगता है। मगर नई शुरुआतें ही तो ज़िंदगी को बयां करती हैं और नई चुनौतियाँ ही तो जीवन में गंभीर सीख देतीं हैं।
सुनिए मेरे बचपन का वो किस्सा जहाँ मैंने भी ऐसी ही ज़िंदगी के एक पड़ाव की नई शुरुआत की थी और बचपने में काफ़ी पचपन वाली बातें की थीं।
अपने बचपन के ऐसे ही किसी किस्से को साझा करने के लिए या उस याद को मुझसे बाँट ताज़ा करने के लिए, आप मुझे मेरे इंस्टा हैन्डल aprajeetaasingh पर फॉलो कर सकते हैं।

प्यार से डर नहीं लगता साहब, चिमटे से लगता है!!!
"एक था बचपन" सिरीज़ का दूसरा एपिसोड जहाँ आप सुनेंगे बचपन में मेरे चिमटे से खौफ और खौफ़ से पढ़ाई के सफ़र के बारे में। अगर आप भी अपने बचपन के ऐसे ही किसी किस्से को सभी लोगों के साथ साझा करना चाहते हैं तो मुझे मेरे इंस्टा हंडेल aprajeetaasingh पर collab के लिए जरूर शेयर करें।

चटर - चटर या पटर - पटर
"एक था बचपन" के पहले एपिसोड में आप मिलेंगे मेरे बचपन की कहानियों के मुख्य किरदारों से और मिलेंगे मेरे old version से जो latest version से काफ़ी हट कर है।
Collab करने के लिए आप मुझसे जुड़ सकते हैं मेरे इंस्टा हैन्डल पर https://www.instagram.com/aprajeetaasingh/ और मेरी कहानियाँ व कविताएं पढ़ने के लिए आप मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं https://aprajeetasingh.com/।

एक था बचपन

प्रेम की स्वीकृति
क्या प्रेम के इज़हार को बिना किसी प्रश्नवाचक चिन्ह जोड़े केवल इज़हार रखा जा सकता है?
आख़िर क्यों हम प्रेम के इज़हार के साथ अगले व्यक्ति को असमंजस की स्थिति में डाल देते हैं?
प्रेम में स्वीकृति, अस्वीकृति, और उपेक्षा जैसी बातों पर मेरे विचार जानने को आतुर हैं तो ज़रूर सुने और अपने विचार मुझसे साझा करें।
You can reach me on my insta handle @aprajeetaasingh.

मैंने अपना घर बना लिया
"अपना घर"
घर बनाने का सपना तो हम सभी का ही होता है। हम में से कुछ अपने घर बना चुके हैं, कुछ बना रहे हैं, और कुछ के लिए ये पहाड़ चढ़ना अभी भी बाकी ही है।
खेर, ये सिलसिला तो जारी रहेगा, मगर अपने घर के होने की आस कभी न छोड़ें। क्योंकि आपका घर आप में और आपके आसपास के ही लोगों में बसा है। बस उसे खोजने की ही देर है, खुद को वक्त दें और खुद के घर तक पहुँचने का रास्ता खोजें।

क्या तुम रुकोगे???

मुझे 'उससे' बेहतर चाहिए
प्रतिस्पर्धा की होड़ कह लो या ज़िंदगी की दौड़ कह लो, हमें सब अच्छा ही नहीं सब कुछ सबसे अच्छा चाहिए। मगर क्या सबसे अच्छा कुछ होता भी है? मुझे तो नहीं लगता, क्योंकि अच्छा केवल तुलनात्मक शब्द है। शायद आप और हम जो जी रहे हैं वो भी बहुत अच्छा है, आपके लिए न सही किसी और के लिए जो आपकी ज़िंदगी को ideal मानता हो।
अब इस बात पर शायद हँस दें की मेरी ज़िंदगी किस तरह से ideal है, बेहतर है, मगर किसी और ज़िंदगी की कठिनाई की तुलना में हो सकती है।
तो क्या बेहतरी की होड़ में भागते रहना गलत है? लगता तो नहीं है, पर खुद की तुलना हमेशा किसी से करते हुए खुद को कमतर आंकना गलत है। आखिर तुम दुनिया में कितने ही बेहतर, मशहूर न हो जाओ, तुम किसी न किसी व्यक्ति से कम ही मशहूर होंगे। तो, आखिर खुद की खुशियों के साथ ये भेदभाव क्यों? क्या ये तुम्हें खुद के लिए वाज़ीफ लगता है? एक बार खुद से जरूर पूछ के देखना।

साथ

Why should you start reading and keep reading?

What's the plan?

तुम ने क्या किया होता?

शायद मैं डरती हूँ
शायद मैं डरती हूँ एक ऐसी कहानी है जिसका कुछ भाग कभी न कभी हर लड़की ने महसूस किया है। यहाँ किसी व्यक्ति विशेष से नहीं अपितु समाज से मौन के डर के बारे का जिक्र है। आप इस कहानी को पढ़ भी सकते हैं: https://www.matrubharti.com/book/19857300/shayad-mai-darti-hu
