
LIFEARIA
By Dr. A. Bhagwat

LIFEARIAJun 24, 2022

दीजिए अपनी ज़ुबां को एक ऐसा स्वाद...जो बदल कर रख दे ज़िंदगानी!! | LIFEARIA
दीजिए अपनी ज़ुबां को एक ऐसा स्वाद...जो बदल कर रख दे ज़िंदगानी!! नमस्कार प्यारे दोस्तों, स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल "Lifearia" के इस मंच पर जहाँ आज हम पहली दफ़ा बनाने जा रहे हैं एक ख़ासम ख़ास रेसिपी!!! और आपको बता दें कि ये रेसिपी आपको पूरे यूट्यूब पर कहीं नहीं मिलेगी! एक ऐसी रेसिपी जो हर घर में देगी एक नया सात्विक स्वाद! तो चलिए करते हैं शुरुवात... सबसे पहले इसमें लगनेवाली अतिआवश्यक सामग्री लिख लीजिए! A Recipe for Life : LIFEARIA

पीर पराई by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA
नमस्कार प्यारे दोस्तों, माफ़ी चाहती हूं! एक लssssम्बे बेमतलब ब्रेक के लिए! तो कैसे हैं आप सभी ? उम्मीद करती हूं कि प्रभु की कृपा से सब कुशल मंगल है और आप सभी जहाँ भी हैं ख़ुश हैं!, स्वस्थ हैं!.....और हाँ मैं भी ठीक ही हूं!! क्या यहाँ आपने ग़ौर फरमाया प्यारे दोस्तों ? कि आपसे मिले बग़ैर भी मैं कितनी आश्वस्त हूँ कि आप सभी एकदम स्वस्थ और सुखी ही हैं!! मग़र खुद अपने बारे में मेरा ये ख़याल है कि हाँ! मैं भी ठीक ही हूँ! Read more - https://www.lifearia.com/peer-parai/

रात....चाँद....और मैं Dr. A. Bhagwat | Moon & Me!
रात, चांद और मैं (Moon and Me!)
कल रात सोचा कुछ लिखूं चांद पर...!!
और जब दिखा चांद तो नज़रें न कागज़ पर टिकीं न कलम पर....!!
बस ठहर गई आसमां पर....!!
कि पूनम के चांद पर...नहीं लिख्हा जाता पूनम पर.....अमावस पर ही बेहतर होगा..... लिखना चांद पर!.....

सवाल-जवाब 1 | भला कैसे टूट जाते हैं हमारे रिश्ते ?
एक दफ़ा क्या हुआ कि वो जो पहला था न वो अचानक चुप हो गया !....तो दूसरी भी ख़ामोश रहने लगी! ये भूल कर कि हर चुप्पी के बाद आवश्यकता होती है कुछ बातों की! सरगोशियों की! और हाँ! मुलाक़ातों की भी! जैसे हर चोट के बाद गरज़ होती है मरहम की! ख़ैर! पता है! फ़िर क्या हुआ ? दोनों ने ही सोच लिया कि वो एकदूसरे की ज़िंदगी में निभा चुके हैं जितना भी था रोल उनका ! एक रिश्ता जो अब है नहीं! बस एहसास रह गया था कि वो है! read more - https://www.lifearia.com/how-does-a-relationship-break-in-hindi/

मिट्टी के दीये by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA
मिट्टी के दीपक कविता (Poem) by Dr. A. Bhagwat
घर भी मिट्टी के होते हैं! और सपने भी मिट्टी के उनके ! जो मिट्टी के दीए बेचने, प्लास्टिक के बाज़ार में आ जाते हैं! जैसे बारिश में कागज़ की कश्ती लिए आते हैं! लोग इधर आकर उधर से गुज़र जाते हैं! फ़िर दिन दीवाली के कुछ और क़रीब आते हैं! बाजूवाले के प्लास्टिक दीए सारे ही बिक जाते हैं!

सफाई! सफाई! दिवाली की सफाई...! A Poem by Dr. A. Bhagwat
safai poem ( सफाई कविता ) by Dr. A. Bhagwat
सफाई! सफाई! सफाई! सफाई!
लो शुरू हो गई, दीवाली की सफाई...!
इसके पहले हो घर की सफाई! इसके पहले हो दुकानो की सफाई!

प्यार का गठबंधन by Dr. A. Bhagwat
गठबंधन..... भले ही गांठ बांध कर शुरू किए जाते हों रिश्तें! मगर वास्तव में रिश्तों की कोई गांठ नहीं हुआ करती! जिसे खोल कर आज़ाद हुआ जा सके और चुपके से दोबारा बांध कर फिर बन्ध जाया जा सके!! क्योंकि रिश्तों में तो दरअसल गांठ की कोई गुंजाइश ही नहीं होती!! इसीलिए सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी की तर्ज़ पर अक़्सर बस टूट जाते हैं रिश्तें!!! कि उनकी कोई एक्सपायरी डेट तो होती नहीं! जिसका रिन्युअल करवाया जा सके!!

सोचने वाली बात 08 | मास्टर शैफ़ वही बनते हैं, जिन्हें हरी मिर्च और प्याज़ काटने से परहेज़ नहीं होता!
सोचने समझने वाली बात 08 प्यारे दोस्तों, सादर नमस्कार स्वागत है आप सभी का आपके अपने यू ट्यूब चैनल 'लाइफेरिया' के इस मंच पर जहां आज हम बढ़ रहे हैं एक और बेहद जरूरी और सोचने वाली बात की ओर पर इससे पहले की मैं शुरुआत करूँ मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ आपके साथ,सहयोग, समर्थन और प्रोत्साहन का जिसके लिए लाइफेरिया आपका शुक्रगुज़ार रहेगा हमेशा हमेशा ! तो चलिए करते हैं शुरुआत...

सोचने वाली बात 07 | क्या करें ? जब ग़लत समझ बैठे लोग हमें ! या नहीं समझे वैसे, जैसे हम हैं ! LIFEARIA
बहुत गफ़लत होती है!, बेहद परेशानी! बड़ी बैचेनी! एक तरह से उलझन में डाल देनेवाली स्थिति, जब लोग कोई ग़लत राय बना लेते हैं हमारे बारे में! कोई टैग लगा देते हैं हम पर! या फ़िर सोचने लगते हैं कुछ ऐसा हमारे बारे में जैसे हम वास्तव में हैं ही नहीं ! फ़िर चाहे वो हमारे घरेलू मामले हों, रिश्तेदार हों,सहकर्मी हों,या फ़िर पड़ोसी कोई....लोगों की इसतरह की ग़लतफ़हमी या फ़िर कभी कभी खुशफ़हमी का हम आए दिन शिकार होते रहते हैं! अब सोचनेवाली बात यह है कि हम ऐसे तथाकथित लोगों, ऐसी परिस्थितियों से आख़िर कैसे निपटें?

अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा! LIFEARIA
आंखें बंद थी! पलकों पर झूल रहे थे ख़्वाब... होंठों पर मिलने की आस....मुस्कान बन कर महक रही थी! एक दूजे को याद कर फूले नहीं समां रहे थे हम.... एक लंबा सफ़र जो तय किया था ,इक दूजे के बग़ैर....अब ख़त्म होने को था ! मन्नते सच होने जा रही थी ! दुआएं क़ूबुल होने को थीं ! जो रची नहीं थी अबतक हाथों में वो मेहंदी खिलने लगी थी ज़हन में और सपना वो हक़ीक़त होने को था जब ....वहीं ज़िन्दगी के उसी हसीन मोड़ पर ,ठिठक कर क़दम रोक लिए थे हमनें कि अपनी ख़ुशी से अपने ही दिल तोड़ लिए थे हमनें! फ़क़त अपना ही ख़याल होता तो कुछ और बात होती! कुछ और दिन होते, कुछ और रात होती!

तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ!
जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं! तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के बग़ैर! जैसे अक्सर बियाबान जंगलों में ही खिला करती हैं, महकते फूलों की हसीन वादियां, ये जानते हुए भी कि उन्हें देखने कोई नहीं आएगा! कोई आस की बाती जलती रहती है फ़क़त तेल की आख़री बून्द की ख़ातिर,दिये को ख़बर हुए बग़ैर ही! क्योंकि वास्ता उसका रोशनी से हुआ करता है!

थप्पड़ परम्परा - Thappad
"थप्पड़ परम्परा!" दिल के नक़्शे को बदल कर रख दिया है, गालों पर पड़े थप्पड़ ने! हाँ! अभी "थप्पड़" देख रही हूं मैं! यूँ तो अकेली ही हूँ....! पर यूँ लग रहा है कि जैसे कई कई ...शायद हज़ारों स्त्रियां मेरे भीतर हैं जो देख रही हैं...हज़ारों साल.....कई सदियां....कई युग ...पीछे जाकर! read more - https://www.lifearia.com/thappad/

ख़्वाहिशों को सिखाइए सब्र का हुनर... कि अभी बहुत ज़रूरतें पूरी करनी हैं
पूरी होनी चाहिए ज़रूरतें, ख़्वाहिशों को इंतज़ार करने दीजिए..... आख़िर वो सुबह आ ही गई! जिसका हम सभी को था इंतज़ार ! इतने दिनों,महीनों के बाद खुला है लॉक डाउन ! खिले हैं लोग ! और निकल पड़ी हूँ मैं बाज़ार की ओर... जैसे कोई आज़ाद पंछी भरता है नित नई उन्मुक्त उड़ान ! कितना कुछ चाहती हूं मैं, कितना कुछ खरीदना है मुझको ! पर्स टटोला देखा पैसें हैं या नहीं ? हाँ! पर्याप्त हैं! read more - https://www.lifearia.com/unfulfilled-wishes-in-hindi/

शक्ति और सामर्थ्य | Day 9 | shakti or samrthya
नमस्कार प्यारे दोस्तों,साथियों, एक बेहद रुचिकर विषय के साथ हम बढ़ रहे हैं हमारी श्रृंखला की पूर्णता की ओर.... चाहे पूजा हो,पाठ हो,होम हवन हो,तप हो,तपस्या हो,आराधना हो,प्रार्थना हो, अनुष्ठान हो या कर्म कोई .....परन्तु इस सब का कोई न कोई प्रयोजन अवश्य होता है। जैसे प्रत्येक क्रिया का कोई न कोई कारण भी होता ही है। वैसे ही जब भी किसी कर्म की पूर्णता की ओर बढ़ते हैं हम .....हमें प्राप्त करना होता है कुछ न कुछ अवश्य....मनुष्य की सबसे बड़ी,महत्वपूर्ण इच्छा, आकांक्षा और महत्वाकांक्षा होती है विभिन्न प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करना! read more - शक्ति और सामर्थ्य

सुख और आनंद | Day 8 | sukh or anand
जी हां प्यारे दोस्तों, न पेड़ सूखते हैं अपने फल फूल लुटाकर और न नदियां ही सूखती हैं कभी किसी की प्यास बुझाकर! चांद, सूरज कभी निस्तेज नहीं हुए इस धरा को रोशन कर अपनी ऊर्जा से! कहाँ समंदर खाली हुआ हमें बारिशों से नवाज़ कर! और कितने समृद्ध हो जाते हैं माता-पिता अपने बच्चों पर अपनी ममता एवं प्यार लुटाकर! फ़िर भला क्यों रुक जाते हैं हाथ हमारे! बढ़ते नहीं मदद को किसी की ! ये भूल कर कि देने के सुख से बड़ा कोई और सुख है ही नहीं! और ये भी कि जो कुछ भी हम एकत्रित करते रहते हैं, संग्रहित करते रहते हैं आवश्यकता से अधिक! वो एक न एक दिन नष्ट होना तय है! क्योंकि वापसी तो खाली हाथ ही मुमकिन है हमारी! हम देखते हैं कि पंछी नहीं इकट्ठा करते कभी दानें अपने घोसलों में! क्योंकि उन्होंने ही सुना होता है मधुमख्खियों को गाते हुए ये गीत कि "ख़ाली हाथ शाम आई है!" जब उनका इकठ्ठा किया हुआ शहद चुरा ले जाते हैं इंसान ! अथाह धन और सम्पत्ति के बावज़ूद लोभी और कंजूसों को भूखे प्यासे दम तोड़ते! read more

भाव और संवाद | Day 7 | bhav or sanvad
जी हाँ, प्यारे दोस्तों स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज हम सातवीं ज़रूरी बात कर रहे हैं! खुल रहे हैं एक बेहद रोचक विषय के पन्ने... तो चलिए करते हैं शुरुआत.... एक बेहतरीन विषय की.....उन बातों की जिन्हें भावों तक पहुंचने के लिए भाषा के पुल की गरज़ ही नहीं होती क्योंकि उनका सफ़र तो तय होता है सीधे दिल से दिल तक और दिमाग़ से दिमाग़ तक! पर सच कहूं तो ये कोई बहुत बड़ा रॉकेट साइंस नहीं है ! read more

कर्म और समर्पण | Day 6 | karm or samrpan
स्वागत प्यारे दोस्तों,साथियों, लगातार साथ बने रहने के लिए! आपने कभी सोचा है प्यारे दोस्तों कि सुबह होते ही कितने सारे काम होते हैं न करने के लिए! यहां तक कि रात को सोने से पहले भी एक लंबी फेहरिस्त होती है हमारे ज़हन में कि ये - ये काम कल निपटाने हैं! ये दुनिया चल ही इसलिए रही है कि कुछ न कुछ चल रहा है हर कहीं! सबकुछ थम नहीं गया! हम सभी के पास अपने अपने काम हैं! हालांकि चाहते तो हम सभी हैं कि हमारे सारे ही काम बेहतरीन हों! पर वास्तव में ऐसा होता नहीं है! read more

क्षमा और शांति | Day 5 | kshama or shanti
नमस्कार प्यारे दोस्तों, एक बार पुनः स्वागत आप सभी का! आस्था ,विश्वास,धैर्य,संयम,उत्साह,उमंग और दृढ़ संकल्प के बाद आज हम पहुंच चुके हैं नौ दिन नौ रातें और ज़रूरी नौ बातों के पांचवे पायदान पर! जहां बात होगी शांति और क्षमा की! जिसके बग़ैर हम सुखों की कल्पना भी नहीं कर सकते! read more

प्रण और संकल्प | Day 4 | pran or prakalp
नमस्कार प्यारे दोस्तों, आप सभी का बहुत बहुत स्वागत और धन्यवाद मेरे वीडियोज़ को लगातार सुनने,समझने के लिए! तो आइए करते हैं शुरुआत । अक्सर यूं होता है न कि लगभग हर रोज़ ही हमारे मन में जागती हैं कई कई ख़्वाहिशें! दिल ये अरमानों से भला कब खाली रहता है! फ़िर ख्वाहिशों के पीछे पीछे उग आते हैं हज़ार हज़ार इरादें भी! मगर लाख़ चाहने पर भी इरादें टूट टूट जाते हैं! और अधूरी रह जाती हैं ख़्वाहिशें तमाम! read more

उत्साह और उमंग | Day 3 | utsah or umang
नमस्कार प्यारे दोस्तों, स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल "लाइफेरिया" के इस मंच पर जहां आज हम बात कर रहे हैं "नौ दिन नौ रातें,और ज़रूरी नौ बातें! " जिसके अंतर्गत अबतक हम बात कर चुके हैं आस्था और विश्वास की,धैर्य और संयम की! और आज हम प्रस्तुत हैं उत्साह और उमंग पर बात करने के लिए जिसके अभाव में जीवन के उत्सव की कल्पना भी सम्भव नहीं! जीवन जो हर पल बस बीते ही जा रहा है ! read more

धैर्य और संयम | Day 2 | dhairya or sanyam
जी हाँ! प्यारे दोस्तों , आज हम पहुंचे हैं "नौ दिन,नौ रातें! और ज़रूरी नौ बातें!" की दूसरी कड़ी में जिसके अंतर्गत आज हम बात कर रहे हैं धैर्य और संयम की। read more

आस्था और विश्वास | Day 1 | astha or vishwas

Meditation Poem | चलो भाग चलें भीतर की ओर
चलो भाग चलें भीतर की ओर..... ये वक़्त जब बाहर निकलना मुमकिन नहीं ! तो क्यों न भीतर ही मुड़ा जाए ! उन रास्तों पर बढ़ाए जाएं कदम जो बाहर से जाते हैं भीतर की ओर.... और पहुंचा जाए वहां जो हमारी असल ज़मीन है, जो सिर्फ़ हमारी अपनी है ! तो क्या हुआ कि हम अक़्सर पहुंच नहीं पाते हैं वहां ! जहां पनपते हैं हमारे विचार, खिलती हैं हमारी भावनाएं । जहां छुपे बैठे हैं सपने कई ... ढूंढों तो मिलेंगे अपने कई.... सुलझी मिलेंगी गुत्थियां कई.... बंद एहसासों की खिड़कियां कई.... दीवारें कई.... घरौंदे कई .... पर्वत कई..... झरने कई..... मसलें कई......हल कई....... हँसी ख़ुशी की झीलें कई.... ख़ुद से ख़ुद की दूरियां कई.....फासले कई और read more

Afternoon Poem | दोपहर hindi
दोपहरें… जब कपड़े सूख रहे होते हैं आंगन में ! बड़ी – पापड़ धूप के साथ -साथ सरकते रहते हैं इधर -उधर और पूरा की पूरा माहौल , विविधभारती के पुराने गीतों पर आधारित हो जाता है ! सुबह के हो चुके कामों और शाम के न हो चुके कामों के बीच सुस्ताती दोपहरें अक्सर खाली पड़ी रहती हैं बस । ये वही दोपहरें हैं जो माँएं बेटा – बेटियों की पढ़ाई की चिंता में गुज़ारा करती हैं । और जब read more

Corona Poem | कोविड 19 "नहीं...नहीं!"

Gulmohar udash hai | गुलमोहर उदास है! | A Poem

सोचने वाली बात 06 | ज़िन्दगी यदि सवाल है तो जवाब भी ज़िन्दगी ही होना चाहिए…मौत नहीं !
ज़िन्दगी यदि सवाल है तो जवाब भी ज़िन्दगी ही होना चाहिए…मौत नहीं! सोचनेवाली बात है न ! कि हमेशा तो नहीं !!! पर हाँ ! अक़्सर सवालों में ही कहीं छुपे होते हैं जवाब भी…..वैसे ही जवाबों का धुआं है, तो यक़ीनन सवालों की आग भी धधक ही रही होगी कहीं!! और जैसे लाजवाब होती हैं बाते कईं …..वैसे ही नहीं खोजे जाते हैं जवाब ,जिनके सवाल नहीं हुआ करते….और इसीलिए बरबस हम कह उठते हैं कई दफ़ा कि “सवाल ही नहीं उठता” (ग़ौर तलब है कि हमारी सोच,हमारा परसेप्शन भी सवालों को जवाब, और जवाबों को सवाल बनाने के लिए पर्याप्त होता है ।)

What is Importance of Prayer | प्रार्थना का महत्व | हम प्रार्थना क्यों करते हैं ?
सबसे पहले और सबसे आख़िर में भी जिसकी आवश्यकता बनी रहती है और बनी रहेगी हमेशा, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रार्थना ही है। क्योंकि वही हमारे जीवन का सुदृढ आधार भी है परन्तु दुःखद आश्चर्य है कि हम सभी ने प्रार्थना को केवल डर से, दुखों से,दर्द से, इच्छाओं से,आकांक्षाओं और अपेक्षाओं से ही जोड़े रख्हा है। जबकि सोच कर देखिए यदि केवल कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना में होते हैं हम ,तो हमसे बड़ा कोई याचक नहीं ! Read more - https://www.lifearia.com/importance-of-prayer-in-hindi/

विचार प्रबंधन | Thought Management | how to think positive ?
विचार प्रबंधन पर सुनिए विचार by Dr. A. Bhagwat एक विचार बस अभी अभी आया है । बस कुछ ही क्षणों में ये बीत जाएगा बग़ैर अपनी कोई निशानी छोड़े और कोई दूसरा विचार उसका स्थान ले लेगा फिर कुछ इसी तरह तीसरा, चौथा और पाँचवा विचार ! विज्ञान कहता है कि प्रतिदिन हमारे मन में लगभग 50 हज़ार विचार आते हैं । और ये सभी हमनें आमन्त्रित नहीं किए होते वरन् स्वतः आगमित होते हैं । हमारे लिए किसी सोचे हुए विषय या विचार पर भी ; बहुत लम्बे समय तक बने रहना सम्भव नहीं है । कभी शीघ्र और कभी कुछ समयांतर पर कोई दूसरा , तीसरा विचार बीच- बीच में हस्तक्षेप अवश्य करता है । फिर हमें स्मरण होता है कि हम किसी विषय विशेष पर विचारमग्न थे और हम पुनः उसी विषय पर आने का प्रयास करते हैं । परन्तु फिर कोई अन्य विचार हमें आकर्षित करता है और ये क्रम चलता रहता है....Read More..https://www.lifearia.com/how-to-think-positive-in-hindi/

Earth Day Special | पृथ्वी के पक्ष में पेड़ों के हक़ में… | 22 April
प्यारे दोस्तों, आप सभी को पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !! बात पृथ्वी की होगी तो पेड़ों तक भी पहुँचेगी । वो पेड़ जो लाख़ झड़ चुके पत्तों के बावज़ूद खड़े रहा करते हैं , फ़िर लौटने वाली बहारों की ख़ातिर …कि ज़रुर वो उगे थे कोमलता को लिए …हरदम बदलते मौसमों को बर्दाश्त करते हुए भी…वो बने रहें ,वो बने रहेंगे…कि बने रहना ही फ़ितरत है उनकी….वो यही सिखाते भी हैं कि बने रहो बस……बदलो जितना मुमकिन है बदलना…..छोड़ों जितना मुमकिन है छोड़ा जाना ……उतना ही लो जितना हो ज़रूरी….. https://www.lifearia.com/earth-day-2021-in-hindi/

सोचने वाली बात 05 | Love You Zindagi
सुनो ! खाना ठंडा हो रहा है जल्दी खाओ ! ट्रेन निकलने को है, जल्दी पकड़ो भाई ! ऑफ़िस नहीं जाना क्या ? उठो जल्दी उठो ! कबतक सोते रहोगे ? परीक्षाएं सर पर हैं ,चलो उठो ,पढ़ाई करो ! अलग करो भाई! गिला और सूखा कचरा, कचरा गाड़ी आगे निकल जाएगी! अरे! बंद करो कुकर तीन सिटी आ चुकी है !जल्दी बंद करो मोटर, पानी की टँकी ओवर फ्लो हुए जा रही है!!! उफ़!!! क्या भागम भाग है न !!

सोचने वाली बात 04 | दिल पर ले ले यार... और दिमाग पर भी
पंछी को क्या पता कि कौन शिकारी घात लगाए बैठा है...कल मिला था जो दाना पानी वो आज नसीब भी होगा या नहीं !! पर इस एक ख़याल से ही वो रद्द नहीं कर देता उड़ानें अपनी ! कि उसको यक़ीन है अपने पंखों से कहीं ज़्यादा अपनी परवाज़ों पर, अपने फैसलों पर, अपने हौसलों पर ! और इसीलिए वो बैठा नहीं रहता शाखों पर, घोंसलों में....भूख प्यास से मर जाने के लिए !!.............

सोचने वाली बात 03 | क्या ये भी दूसरे ही तय करेंगे कि हमारे जीने की दशा और दिशा क्या होगी !
आपने देखा होगा कि अक्सर हमारे परिवार में ही ,हमारा कोई अपना ही, ऐसा होता है जो परिवार के बाक़ी दूसरे सदस्यों के लिए आफत बना होता है ! बाक़ी सारे उसके व्यवहार से हैरान - परेशान होते रहते हैं ! पर कुछ कह नहीं पाते ! कुछ कर नहीं पाते ! डर, असुरक्षा या लोक लिहाज़ के चलते !..............

सोचने वाली बात 01 | अक्सर हम सोचा हुआ क्यों नहीं कर पाते ?
स्वागत है आप सभी का आपके अपने "लाइफेरिया" के इस मंच पर जहां आज हम शुरुवात कर रहे हैं श्रृंखला "सोचनेवाली बात"
Visit our website - https://www.lifearia.com

No school = No Fees = No Salary = No Teachers = No Education
While the world suffers due to the impact of this Pandemic (COVID19) , all the sectors including the education sector is facing a lot of difficulties in being able to manage studies through online platforms. At the same time the lack of support shown by the parents associations is a big challenge in front of educational institutions.

Mind During The Covid19 Era (कॅरोना मनस्थिति)
This video portrays the journey that our mind has gone through in the last few months... All the quotes are created by Dr. A. Bhagwat. Hope you like it

कॅरोना का ख़त, सेनेटाइज़र के नाम | letter of corona, name of sanitizer
It is human tendency to first make jokes then take things seriously and at last start the cycle again. Perhaps this is what happened during the pandemic.
Here's a poem written and recited by Dr. Bhagwat ! Hope you like it...

दरवाज़ें | The Doors
Another poem written and recited by Dr. Bhagwat

Ekaant (एकांत) Alone
जानिए इस कॅरोना काल में एकांत का महत्व, डॉ. भागवत की स्वरचित कविता 'एकांत' के माध्यम से ...

आलिंगन | Embrace Love
Poem was written and recited by Dr. A. Bhagwat.

ज़िन्दगी पॉज़िटिव, कॅरोना नेगेटिव | life positive, corona negative
Lifearia aims at spreading positivity in such difficult times..

नेकी की दीवार | Goodness Wall
Neki Ki Deewar; a poem written and recited by Dr. A. Bhagwat

तुम पंछी मैं शाख़ | You bird, I am Branch
beautiful poem was written and recited by Dr. A. Bhagwat

Parents | अभिभावक
A poem written and recited by Dr. Anamika Bhagwat

Khidki | खिड़की
Poem 'Khidki' written and recited by Dr. A. Bhagwat

Candle | मोम
The real reason behind why a candle burns

Rishtey | रिश्ते
Lifearia presents the poem 'Rishtey' written by Dr. A. Bhagwat.

Khwaab - a memory, a dream
Poem - Khwaab Written and Recited by Dr.A. Bhagwat

Mohabbat | मोहब्बत
Have you ever fallen in love but never expressed it ?? Here's a poem for all such people out there !!

कोना | Corner
The poem "Kona" written and recited by Dr. A. Bhagwat.