
Subhash Saini Podcast
By Prof. Subhash Saini
साहित्यिक-सास्कृतिक-कलात्मक रूचियों का परिष्कार।
सत्य आधारित संवेदनशील-समतामूलक, न्यायपूर्ण व विवेकशील समाज का निर्माण।
महात्मा बुद्ध, कबीर, रैदास, गुरुनानक देव, जोतीबा फुले, सावित्री बाई फुले, डा. भीमराव आंबेडकर, शहीद भगतसिंह आदि प्रगतिशील विचारकों की चिंतन परंपरा का विकास।

Subhash Saini Podcast Apr 12, 2023

175. Jotiba Phule Ka Sahitya जोतिबा फुले का साहित्य
Jotiba Phule Ka Sahitya जोतिबा फुले का साहित्य

174. जोतिबा फुले का जीवन व संघर्ष
जोतिबा फुले का जीवन व संघर्ष

173. औरंगजेब और हिंदू मंदिर- बी.एन. पाण्डेय
औरंगजेब और हिंदू मंदिर- बी.एन. पाण्डेय

172. भारतीय किसान - गणेश शंकर विद्यार्थी

170. रविंद्रनाथ टैगोर - कवि जीवनी

169. Prem Chand by Janender /संस्मरण/प्रेमचंद- जैनेद्र

168. मुसद्दस -ए-हाली का महत्व

167 Poetry and Nature by Ram Chander Shukla /निबंध/रामचंद्र शुक्ल - काव्य और प्रकृति

166. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी - बरसो भी

165. प्रायश्चित की घड़ी
प्रायश्चित की घड़ी हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेख. जाति के बारे में

164. रीतिमुक्त काव्यधारा और उसके प्रमुख कवि

163. रीतिसिद्ध काव्यधारा और उसके प्रमुख कवि

162. रीतिबद्ध काव्यधारा और उसके प्रमुख कवि

161. रीतिकाल का परिवेश और पृष्ठभूमि

160. राम भक्ति काव्य और तुलसीदास

159. कृष्ण काव्य धारा के कवि (मीरा, रहीम, रसखान)

158. कृष्ण भक्ति काव्य

157. सूफी काव्य और मलिक मुहम्मद जायसी

156.संत काव्यधारा के कवि (संत रविदास, सुंदरदास, दादूदयाल)
संत काव्यधारा के कवि (संत रविदास, सुंदरदास, दादूदयाल)

155. संत काव्यधारा और कबीर
155. संत काव्यधारा और कबीर

154. भक्तिकालीन काव्य धाराओं की पृष्ठभूमि
154. भक्तिकालीन काव्य धाराओं की पृष्ठभूमि

153. भक्तिकाल की परिस्थितियां
153. भक्तिकाल की परिस्थितियां

152. आदिकालीन लौकिक धारा के कवि अमीर खुसरो और विद्यापति
आदिकालीन लौकिक धारा के कवि अमीर खुसरो और विद्यापति

151. आदिकालीन साहित्य की जैन व रासो धाराएं
आदिकालीन साहित्य की जैन व रासो धाराएं

150. आदिकालीन साहित्य की जैन व रासो धाराएं
आदिकालीन साहित्य की जैन व रासो धाराएं

149. आदिकालीन साहित्य की सिद्ध और नाथ
आदिकालीन साहित्य की सिद्ध और नाथ

148. आदिकाल की परिस्थितियां
आदिकाल की परिस्थितियां

147. हिंदी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन और नामकरण
हिंदी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन और नामकरण

146. हिंदी साहित्येतिहास लेखन का इतिहास
हिंदी साहित्येतिहास लेखन का इतिहास

145. Concept of History and History of Literature/ इतिहास और साहित्येतिहास की अवधारणा
इतिहास और साहित्येतिहास की अवधारणा

144. Hindi Bhasha Ka Vikas/ हिंदी भाषा का विकास
Hindi Bhasha Ka Vikas

143. Freedom of Writer by Bhisham Sahni/निबंध/ लेखक की स्वतंत्रता का सवाल - भीषण साहनी
Freedom of Writer by Bhisham Sahni
/निबंध/
लेखक की स्वतंत्रता का सवाल - भीषण साहनी

142. Bharat Mata by Sumitranandan Pant/कविता/भारत माता- सुमित्रानंदन पंत
Bharat Mata by Sumitranandan Pant
भारत माता- सुमित्रानंदन पंत
कविता

141. Prem Chand Ji by Shiv Poojan Sahay (संस्मरण) प्रेमचंद जी - शिवपूजन सहाय
Prem Chand Ji by Shiv Poojan Sahay (संस्मरण) प्रेमचंद जी - शिवपूजन सहाय

140. Ambedar's Struggle (विरासत) जाति के खिलाफ डा. आंबेडकर का संघर्ष - सुभाष चंद्र
(विरासत) जाति के खिलाफ डा. आंबेडकर का संघर्ष - सुभाष चंद्र

139. Bhasha Ka Prashan by Maha Devi Verma भाषा का प्रश्न- महादेवी वर्मा
Bhasha Ka Prashan by Maha Devi Verma भाषा का प्रश्न- महादेवी वर्मा

138. (कहानी) - वांङ्चू- भीष्म साहनी
वांङ्चू- भीष्म साहनी

137. Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -3) - #रामचंद्रशुक्ल
Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -3) - #रामचंद्रशुक्ल

136. Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -2) - #रामचंद्रशुक्ल
Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -2) - #रामचंद्रशुक्ल

135. Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -1) - #रामचंद्रशुक्ल
Kavita Kya Hai by #RamChanderShukla/ कविता क्या है (भाग -1) - #रामचंद्रशुक्ल

134. Shaheed Udham Singh by Subhash Chander (जीवनी) शहीद उधमसिंह की आत्मकथा - सुभाष चंद्र
(जीवनी) शहीद उधमसिंह की आत्मकथा - सुभाष चंद्र

133. Bhartendu by Radhakrishan Das (संस्मरण) भारतेंदु हरिश्चंद्र - राधाकृष्ण दास
भारतेंदु हरिश्चंद्र - राधाकृष्ण दास
(संस्मरण)

132. My Mother make Me Fan Of Premchand by Muktibodh / मेरी मां ने मुझे प्रेमचंद का भक्त बनाया - मुक्तिबोध
My Mother make Me Fan Of Premchand by Muktibodh /
मेरी मां ने मुझे प्रेमचंद का भक्त बनाया - मुक्तिबोध
(संस्मरण)

131.Vyaomkesh Shastri Urf Hajari Prasad Diwedi / व्योमकेश शास्त्री उर्फ हजारी प्रसाद द्विवेदी
Vyaomkesh Shastri Urf Hajari Prasad Diwedi / व्योमकेश शास्त्री उर्फ हजारी प्रसाद द्विवेदी

130. Sahitya Aur Cinema by Gulzar / साहित्य और सिनेमा - गुलजार
Sahitya Aur Cinema by Gulzar / साहित्य और सिनेमा - गुलजार

129. Tradition and Modernity by Hajari Prasad Dwivedi / परम्परा और आधुनिकता - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
Tradition and Modernity by Hajari Prasad Dwivedi /
परम्परा और आधुनिकता - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

128. Premchandji Bade-Bade Bahut Bade Hain by Surya Kant Tripathi Nirala / प्रेमचंदजी बड़े-बड़े बहुत बड़े हैं - निराला
(संस्मरण)
प्रेमचंदजी बड़े-बड़े बहुत बड़े हैं - निराला

127. Nationality By Ganesh Shankar Vidyarthi राष्ट्रीयता - गणेश शंकर विद्यार्थी
Nationality By Ganesh Shankar Vidyarthi
राष्ट्रीयता - गणेश शंकर विद्यार्थी

126. (संस्मरण) Bhartendu By Shiv Poojan Sahay भारतेंदु - शिवपूजन सहाय
Bhartendu By Shiv Poojan Sahay भारतेंदु - शिवपूजन सहाय

125. (चिंतन) जातिप्रथा उन्मूलन के बारे में भीमराव अंबेडकर के विचार - सुभाष चंद्र

124. Begam Pura by Guru Ravi Das (विरासत) बेगमपुरा - गुरु रविदास

123. Guru Nanak Dev Ji (विरासत) गुरुनानक देव - सुभाष चंद्र

122. Karwa Ka Vrat by Yash Pal (कहानी) करवा का व्रत - यशपाल

121. Ashadhya Veena by Agey (कविता ) असाध्य वीणा - अज्ञेय
(कविता ) असाध्य वीणा - अज्ञेय

120. Desh Kagaj PAr Bana Naksha Nahi Hota by Sarveshawar Dyal Saxsena (कविता) देश काग़ज़ पर बना नक़्शा -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
देश काग़ज़ पर बना नक़्शा -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
(कविता)

119.Akaal Aur Uske Baad by Nagarjun , (कविता) अकाल और उसके बाद - नागार्जुन
अकाल और उसके बाद - नागार्जुन
(कविता)

118. (कविता) - नचिकेता -कुंवर नारायण

117. National Integration and Language Problem by Bhisham Sahni / राष्ट्रीय एकता और भाषा की समस्या - भीष्म साहनी

116. Rights of Women by Periyar E. V. Ramasamy / महिलाओं के अधिकार - ईवी रामास्वामी नायकर।

115. Ateet Ki Smritiyan by Ram Chander Shukla / अतीत की स्मृति - आचार्य रामचंद्र शुक्ल

114. Prasad: Jaisa Maine Paya by Amrit Lal Nagaar (संस्मरण) प्रसादः जैसा मैने पाया - अमृतलाल नागर
(संस्मरण) प्रसादः जैसा मैने पाया - अमृतलाल नागर

113. Sharat Ke Sath Bitaya Kuch Samay by Amrit Lal Nagar/ (संस्मरण) शरत के साथ बिताया कुछ समय - अमृतलाल नागर
Sharat Ke Sath Bitaya Kuch Samay by Amrit Lal Nagar/
(संस्मरण) शरत के साथ बिताया कुछ समय - अमृतलाल नागर

112. Bhola Ram Ka Jeev by Harishankar Parsai/ (कहानी) भोलाराम का जीव - हरिशंकर परसाई
Bhola Ram Ka Jeev by Harishankar Parsai/
(कहानी) भोलाराम का जीव - हरिशंकर परसाई

112. Kalam Ka Sipahi by Amri Rai/ प्रेमचंद : कलम का सिपाही - अमृतराय
हिंदी कथा सम्राट की जीवनी प्रेमचंद के व्यक्तित्व, जीवन-संघर्ष, विचारधारा और साहित्य पर सबसे विश्वसनीय जीवनी है उनके पुत्र अमृतराय द्वारा लिखी 'कलम का सिपाही'।
Kalam Ka Sipahi by Amri Rai
प्रेमचंद : कलम का सिपाही - अमृतराय

111. Mere Teen Guru Aur Teen Prerna by B R Ambedkar/ (संस्मरण) मेरे तीन गुरु और तीन प्रेरणा - डा. भीमराव अंबेडकर
Mere Teen Guru Aur Teen Prerna by B R Ambedkar/
(संस्मरण) मेरे तीन गुरु और तीन प्रेरणा - डा. भीमराव अंबेडकर

110. Future of Indian Democracy by B. R. Ambedkar/ भारतीय प्रजातंत्र का भविष्य - डा. भीमराव अंबेडकर
Future of Indian Democracy by B. R. Ambedkar/
भारत में प्रजातंत्र का भविष्य - डा. भीमराव अंबेडकर

109. हिंदी साहित्यकार सुदर्शन से डा. पद्म सिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार
सुदर्शन का असली नाम बदरीनाथ है। इनका जन्म सियालकोट में 1895 में हुआ था। "हार की जीत" पंडित जी की पहली कहानी है और १९२० में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी।
मुख्य धारा के साहित्य-सृजन के अतिरिक्त उन्होंने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे हैं। सोहराब की सिकंदर (१९४१) सहित अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन 1935 में उन्होंने "कुंवारी या विधवा" फिल्म का निर्देशन भी किया। वे 1950 में बने फिल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। वे 1945 में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। उनकी रचनाओं में तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। फिल्म धूप-छाँव (1935) के प्रसिद्ध गीत तेरी गठरी में लागा चोर, बाबा मन की आँखें खोल आदि उन्हीं के लिखे हुए हैं। सुदर्शन जी महान लेखक थे ।

108. आचार्य चतुरसेन शास्त्री से डा. पद्मसिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार
आचार्य चतुरसेन शास्त्री से डा. पद्मसिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार

107. Tumhare Itihas Abhiman Ki Kshay by Rahul Sankrityayan / तुम्हारे इतिहास अभिमान की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
Tumhare Itihas Abhiman Ki Kshay by Rahul Sankrityayan / तुम्हारे इतिहास अभिमान की क्षय - राहुल सांकृत्यायन

106. महादेवी वर्मा का डा. पद्म सिंह शर्मा से साक्षात्कार
महादेवी वर्मा (26 मार्च 1907-12 सितंबर 1987) हिंदी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। 1919 में इलाहाबाद में क्रास्थवेट कालेज से शिक्षा का प्रारंभ करते हुए उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। तब तक उनके दो काव्य संकलन 'नीहार' और 'रश्मि' प्रकाशित होकर चर्चा में आ चुके थे।
अपने प्रयत्नों से उन्होंने इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की। इसकी वे प्रधानाचार्य एवं कुलपति भी रहीं। 1932 में उन्होंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका 'चाँद' का कार्यभार सँभाला। 1934 में नीरजा, तथा 1936 में सांध्यगीत नामक संग्रह प्रकाशित हुए। 1939 में इन चारों काव्य संग्रहों को उनकी कलाकृतियों के साथ वृहदाकार में 'यामा' शीर्षक से प्रकाशित किया गया। उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किए।
इसके अतिरिक्त उनके 18 काव्य और गद्य कृतियाँ हैं जिनमें 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ' और 'अतीत के चलचित्र' प्रमुख हैं।
सन 1955 में महादेवी जी ने इलाहाबाद में 'साहित्यकार संसद' की स्थापना की और पं. इला चंद्र जोशी के सहयोग से 'साहित्यकार' का संपादन सँभाला। यह इस संस्था का मुखपत्र था।
स्वाधीनता प्राप्ति के बाद 1952 में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या मनोनीत की गईं। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिए 'पद्म भूषण' की उपाधि और 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत किया। इससे पूर्व महादेवी वर्मा को 'नीरजा' के लिए 1934 में 'सक्सेरिया पुरस्कार', 1942 में 'स्मृति की रेखाओं' के लिए 'द्विवेदी पदक' प्राप्त हुए। 1943 में उन्हें 'मंगला प्रसाद पुरस्कार' एवं उत्तर प्रदेश सरकार के 'भारत भारती' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 'यामा' नामक काव्य संकलन के लिए उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ।
उन्हें आधुनिक साहित्य की मीरा के नाम से जाना जाता है।

105. Tumhare Bhagwan Ki Kshaya by Rahul Sankrityayan / तुम्हारे भगवान की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
तुम्हारे भगवान की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
Tumhare Bhagwan Ki Kshaya by Rahul Sankrityayan

104. Jokon Tumhari Kshay by Rahul Sankrityayan / जोकों तुम्हारी क्षय हो - राहुल सांकृत्यायन
Jokon Tumhari Kshay by Rahul Sankrityayan
जोकों तुम्हारी क्षय हो - राहुल सांकृत्यायन
जो अपनी मेहनत से अपने जीने का ढंग न करके दूसरे का खून चूसकर मुटाता है उसे जोक कहा जाता है। कितनी जोकें हैं जो मेहनतकश मजदूर-किसान को चिपटी हैं. धर्म-मर्यादा, पूंजीवादी-सामंती. मेहनत की जय और जोकों की क्षय.

103. Tumhare Samaj Ki Kshay by Rahul Sankrityayan / तुम्हारे समाज की क्षय- राहुल सांकृत्यायन
तुम्हारे समाज की क्षय- राहुल सांकृत्यायन

102. भगवतीचरण वर्मा से डा. पद्म सिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार
जन्म: 30 अगस्त 1903, उन्नाव ज़िले के शफीपुर ग्राम में।
शिक्षा: इलाहाबाद से बी.ए. एलएल. बी. की उपाधि।
कार्यक्षेत्र: प्रारंभ में कविता लेखन फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात। 1936 में फिल्म कारपोरेशन कलकत्ता में कार्य। विचार नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन संपादन। इसके बाद बम्बई में फिल्म कथा लेखन तथा दैनिक नवजीवन का संपादन। आकाशवाणी के कई केन्द्रों में कार्य। 1957 से स्वतंत्र लेखन। 'चित्रलेखा' उपन्यास पर दो बार फिल्म निर्माण और भूले बिसरे चित्र पर साहित्य अकादमी पुरस्कार। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।
निधन : 5 अक्तूबर 1981 में।
प्रमुख कृतियाँ:
उपन्यास: अपने खिलौने, पतन, तीन वर्ष, चित्रलेखा, भूले बिसरे चित्र, टेढ़े मेढ़े रास्ते, सीधी सच्ची बातें, सामर्थ्य और सीमा, रेखा, वह फिर नहीं आई, सबहिं नचावत राम गोसाईं, प्रश्न और मरीचिका, युवराज चूंडा, धुप्पल।
कहानी संग्रह : मेरी कहानियाँ, मोर्चाबन्दी।
कविता संग्रह : मेरी कविताएँ।
संस्मरण : अतीत की गर्त से।
साहित्य आलोचना : साहित्य के सिद्धांत तथा रूप।
नाटक : मेरे नाटक, वसीयत।
चित्रलेखा न केवल भगवतीचरण वर्मा को एक उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने वाला पहला उपन्यास है बल्कि हिन्दी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है, जिनकी लोकप्रियता बराबर काल की सीमा को लाँघती रही है।चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है-पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है ?

101. Tumhare Dharam Ki Kshaya by Rahul Sankrityayan/ तुम्हारे धर्म की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
Tumhare Dharam Ki Kshaya by Rahul Sankrityayan/ तुम्हारे धर्म की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
धर्म के नाम पर गरीबों-निर्दोषों पर सैंकड़ों सालों से हिंसा, शोषण औऱ अत्याचार हो रहे हैं। फिर भी लोग उसके चक्रव्यूह में फंसे क्यों हैं ? जब धर्मों के प्रवर्तक समाज सुधारक की तरह दुनिया में आए तो बाद में उनके अनुयायी रुढ़़िवादी क्यों हुए ? सत्ता-भक्त क्यों बने ? धर्म और सांप्रदायिकता क्या एक चीज है ? धर्म की जय हो या क्षय ?

100. Tumhari Jaat Paant ki Kshay by Rahul Sankrityayan / तुम्हारी जात-पांत की क्षय - राहुल सांकृत्यायन
umhari Jaat Paant ki Kshay by Rahul Sankrityayan /
तुम्हारी जात-पांत की क्षय - राहुल सांकृत्यायन

99. Vishnu Prabhakar Se Dr. Padam Singh Sharma Kamlesh Ka Sakshatkar/ (साक्षात्कार) विष्णु प्रभाकर से डा. पद्म सिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार
Vishnu Prabhakar Se Dr. Padam Singh Sharma Kamlesh Ka Sakshatkar/
(साक्षात्कार) विष्णु प्रभाकर से डा. पद्म सिंह शर्मा कमलेश का साक्षात्कार

98. Shahid Sukhdev Ka patra Pita Ke Naam/ शहीद सुखदेव का पत्र ताया जी के नाम
शहीद सुखदेव का पत्र ताया जी के नाम
Shahid Sukhdev Ka patra Pita Ke Naam/

97. (कविता) अथ रूपकुमार कथा - भगवत रावत

96. (कविता) राजे ने रखवाली की - निराला

95. Bhagat Singh Ka Antim Patra Sathiyon Ke Naam शहीद भगतसिंह का अंतिम पत्र साथियों के नाम
Bhagat Singh Ka Antim Patra Sathiyon Ke Naam

94. Hamen Goli Se Uda Diya Jaye by Bhagat singh, Rajguru And Sukhdev / हमें गोली से उड़ा दिया जाए - शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव
हमें गोली से उड़ा दिया जाए - शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव
Hamen Goli Se Uda Diya Jaye by Bhagat singh, Rajguru And Sukhdev /

93. Pita Ke Naam Patar by Bhagat Singh / पिता के नाम पत्र - भगत सिंह
Pita Ke Naam Patar by Bhagat Singh / पिता के नाम पत्र - भगत सिंह

92. Vidyarthi Aur Rajniti by Bhagat SIngh / विद्यार्थी औऱ राजनीति - भगत सिंह
Vidyarthi Aur Rajniti by Bhagat SIngh / विद्यार्थी औऱ राजनीति - भगत सिंह

91. Dharam Aur Hamara Swatantrta Sangram by Bhagat Singh / धर्म और हमारा स्वतंत्रता संग्राम - भगत सिंह
धर्म और हमारा स्वतंत्रता संग्राम - भगत सिंह
Dharam Aur Hamara Swatantrta Sangram by Bhagat Singh /
Religion and Our Freedom Struggle by Bhagat singh

90. Sampradik Dange Aur Unka Ilaaj by Bhagat Singh / सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज - भगत सिंह
सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज - भगत सिंह
Sampradik Dange Aur Unka Ilaaj by Bhagat Singh

89. Achoot Samasya by Bhagat Singh / अछूत समस्या - भगत सिंह

88. Asfaq Ulla Khan Ka Desh Wasiyon ke Naam Sandesh/ अशफाक उल्ला खान का देश वासियों के नाम संदेश
Asfaq Ulla Khan Ka Desh Wasiyon ke Naam Sandesh/

87. Swarg Mein Vichar Shabha by Bhartendu Harish Chander/ (निबंध) स्वर्ग में विचार सभा का अधिवेशन - भारतेंदु हरिश्चंद्र
स्वर्ग में विचार सभा का अधिवेशन - भारतेंदु हरिश्चंद्र
Swarg Mein Vichar Shabha by Bhartendu Harish Chander/

86. Sarkar Aur Aajadi by Ch. Chotu Ram / ( किसानी नजरिया ) सरकार और आजादी -चौ. छोटूराम
सरकार और आजादी -चौ. छोटूराम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

85. Angreji Raj Ke Do Pahloo by Ch. Chotu Ram /( किसानी नजरिया ) अंग्रेजी राज के दो पहलू -चौ. छोटूराम
अंग्रेजी राज के दो पहलू -चौ. छोटूराम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

84. Char Chor (लोक कथा) चार चोर
Char Chor (लोक कथा) चार चोर

83.Punjab Ke Kisan Ka Bhavishya by Ch. Chotu Ram /( किसानी नजरिया ) पंजाब के किसान का भविष्य - चौ. छोटू राम
पंजाब के किसान का भविष्य - चौ. छोटू राम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

82. Pagdandiyon Ka Jamama by Harishankar Parsai/ (व्यंग्य) पगडण्डियों का जमाना - हरिशंकर परसाई
(व्यंग्य) पगडण्डियों का जमाना - हरिशंकर परसाई

81. Nakhun Kyon Badhte Hain by Aacharya Hajari Prasad Diwedi / (निबंध) नाखून क्यों बढ़ते हैं - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
नाखून क्यों बढ़ते हैं - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

81. Afro-Asia Writer Association - Faiz Ahmad Faiz ( भाषण) अफ्रो एशियाई लेखक संघ में भाषण - फैज अहमद फैज़
Afro-Asia Writer Association - Faiz Ahmad Faiz ( भाषण) अफ्रो एशियाई लेखक संघ में भाषण - फैज़ अहमद फैज़
रूस में 1983 में अफ्रो एशियाई लेखक संघ के रजत जयंती के अवसर पर दिया गया क्रांतिकारी शायर फैज अहमद फैज का भाषण.
Speech by Revolutionary Poet Faiz Ahmad Faiz in 1983 on the occasion of Silver jubilee function of Afro-Asiatic Writer Association. In this He discuss international political situation and issues and duties of writers in this senerio.

80. Sahitya, Sanskriti Aur ShaShan by Maha Devi Verma ( भाषण) साहित्य, संस्कृति और शासन - महादेवी वर्मा
Sahitya, Sanskriti Aur ShaShan by Maha Devi Verma ( भाषण) साहित्य, संस्कृति और शासन - महादेवी वर्मा
The lecture giveb by Great Hindi Writer Maha Devi Verma in Assembly Council of U.P. on Literature, Culture and Government.She Spoke only physical development is not sufficient moral and mental development of society should taken care of by the Govt. These should be part and partial developmental plan.

79. Kisan Ka Dukhda by Ch. Chotu Ram/( किसानी नजरिया ) किसान का दुखड़ा - चौ. छोटू राम
किसान का दुखड़ा - चौ. छोटू राम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

78. Sharion Ke Chonchle by Ch. Chotu Ram (किसानी नजरिया ) शहरियों के चोंचले - चौ. छोटूराम
शहरियों के चोंचले - चौ. छोटूराम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

77. Poos Ki Raat by Premchand/ (कहानी) पूस की रात - प्रेमचंद
Poos Ki Raat by Premchand/ (कहानी) पूस की रात - प्रेमचंद
पूस की रात कहानी में भारतीय किसान के चहुंमुखी शोषण का चित्रण ह। पूंजीवादी व्यवस्था के घोर शोषण से छोटा किसान किस तरह मजदूर में तब्दील होता जाता है इस प्रक्रिया को बेहतरी से उदघाटित करती है।
Pus Ki Raat is a short story written by Premchand.This story depicts the all-round exploitation of the Indian farmer. It best exposes the process of how a small farmer is transformed into a laborer by the gross exploitation of the capitalist system.

76. Wakti Judai KA Daur/(संस्मरण) वक्ती जुदाई का दौर - कृश्न चंदर
1967 में रूस में फैज़ अहमद फैज़ के साथ मुलाकात पर आधारित। भारत-पाक दोस्ती व भारत-पाक जनता के बीच मौजूद प्रेम व भाईचारे को उभारता हुआ। सत्ताधीश अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए दोनों देशों के बीच नफरत फैलाकर युद्धों में झोंकते रहे हैं, लेकिन जनता ऐसा नहीं चाहती।
लेखक को उम्मीद है कि नफरत की यह कृत्रिम दीवार एक दिन ढह जाएगी.

75. Kissanon Ke Naam Sandesh/ (किसानी नजरिया ) किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

74.Dukhi Jeewan/ (निबंध) दुखी जीवन - प्रेमचंद
दुखी जीवन - प्रेमचंद

73. Sahitya Ka Aadhar (निबंध) साहित्य का आधार - प्रेमचंद
(निबंध) साहित्य का आधार - प्रेमचंद

72. Bachhon Ko Swadheen Banao ( निबंध ) बच्चों को स्वाधीन बनाओ - प्रेमचंद
बच्चों को स्वाधीन बनाओ - प्रेमचंद

71. Kagjee Hakumat ( किसानी नजरिया ) कागजी हुकुमत -चौ. छोटूराम
किसान नेता चौधरी छोटूराम का लेख। वे जाट गजट अखबार प्रकाशित करते थे। किसानों को जागृत करने के लिए अनेक कदम उठाए। किसान आंदोलन उनके ऋणी रहेंगे। किसान राजनीति की उन्होंने शुरुआत की थी। हिंदू-मुस्लिम एकता व सांप्रदायिक सदभाव के कार्य किया। भारत-विभाजन के वे खिलाफ थे।
जी चाहता है कि शिमला की ऊंची पहाड़ियों पर रहने वाले सरकारी अफसरों को और लाहौर की ठंडी सड़क और सुंदर पार्कों और बागों में मटर गश्ती व सैर-सपाटा करने वाले शहरी हजरात को किसी तरह यह विश्वास दिलाऊं कि आबादी का एक वर्ग ऐसा भी है, जिसको नाने-शबीना (एक वक्त की रोटी) भी नहीं मिलती है। जो तुम्हारे लिए विलासिता का सामान जुटाता है, वह स्वयं तंग-दस्त और फाका-मस्त है। बेचारा किसान निढाल है, खस्ताहाल है। इसकी गरीबी की यह हालत है कि इसको सरकारी तकाजों को भी पूरा करना दूभर हो जाता है। मगर इसकी बेकसी का सही ज्ञान बहुत कम लोगों को है। हमारी सरकार ने अभी हाल में जिले के अफसरों से चंद सवालात पूछे थे। इनमें से एक सवाल यह था कि क्या सचमुच किसान के सब साधन जवाब दे चुके हैं? हमारी कैसी नन्ही-मुन्नी भोली सरकार है, जिसको अब तक यह पता नहीं कि किसान के आर्थिक जीवन के सब चश्मे सूख चुके हैं!
मगर पता भी कैसे लगे? कागजी हुकूमत है। कागजी घोड़े दौड़ते हैं। कागज का पेट भर दिया जाता है। बस सरकार की तसल्ली हो जाती है। प्रजा का पेट भरा है या नहीं, कागजी घुड़दौड़ में किसी को ध्यान ही नहीं आता। सरकारी अफसरों को केवल कागजों में दर्ज हुई बातों का ही पता होता है। रियाया पर क्या गुजरती है, प्रजा खुशहाल है या बदहाल है, इसका हाल केवल देहात वालों को ही मालूम है। पटवारी को भी मालूम है, लेकिन यह कहने से डरता है। ज्यों-ज्यों ऊपर जाओ, हालात की सही जानकारी कम होती जाती है। यहां तक कि सरकार के बड़े-बड़े दफ्तरों तक पहुंचते-पहुंचते केवल कागजी इंदराजात और कागजी औसत पर ही निर्भर किया जाता है। सच तो यह है कि बड़े अफसरों को सही हालात मालूम होने बड़े कठिन हैं। जो बड़े-बड़े अफसर हैं, उनको तो पुलिस की रिपोर्टों और प्राइवेट चुगलखोरों की बातें सुनने से फुरसत नहीं मिलती। इनका अधिक समय राजनैतिक स्थिति का अध्ययन करने और उनसे संबंधित रिपोर्ट भेजने में खर्च हो जाता है। इलाकों में दौरा करने, प्रजा से मिलने-जुलने, सही जानकारी देने और अपनी आंख से सब चीजों को देखने का इनको मौका ही नहीं मिलता।

70. Swasthya Aur Shiksha (निबंध) स्वास्थ्य और शिक्षा - प्रेमचंद
(निबंध) स्वास्थ्य और शिक्षा - प्रेमचंद

69. Sampradayikta Aur Sanskriti - Premchand/(निबंध) सांप्रदायिकता और संस्कृति - प्रेमचंद

68.Bolna Seekh - Ch. Chotu Ram/( किसानी नजरिया ) बोलना सीख - चौ. छोटू राम
Bolna Seekh - Ch. Chotu Ram/ बोलना सीख - चौ. छोटू राम
चौ. छोटूराम चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945।
निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945.
1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

67. ( किसानी नजरिया ) नया उपदेश - चौ. छोटू राम
नया उपदेश - चौ. छोटू राम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

66. ( किसानी नजरिया ) जिंदगी का मरकज़ -चौ. छोटूराम
जिंदगी का मरकज़ -चौ. छोटूराम
किसानों के नाम संदेश -चौ. छोटूराम
चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जनवरी 1945। 1923 से 1944 के बीच किसानों के हित में कर्जा बिल, मंडी बिल, बेनामी एक्ट आदि सुनहरे कानूनों के बनाने में प्रमुख भूमिका। 1944 में मोहम्मद अली जिन्ना की पंजाब में साम्प्रदायिक घुसपैठ से भरपूर टक्कर। एक मार्च 1942 को अपनी हीरक जयंती पर उन्होंने घोषणा की-‘मैं मजहब को राजनीति से दूर करके शोषित किसान वर्ग और उपेक्षित ग्रामीण समाज कीसेवा में अपना जीवन खपा रहा हूं।’ भारत विभाजन के घोर विरोधी रहे। 15 अगस्त 1944 को विभाजन के राजाजी फॉर्मुले के खिलाफ गांधी जी को ऐतिहासिक पत्र लिखा।

65.( किसानी नजरिया ) भारत में मजहब - चौ. छोटूराम
भारत में मजहब - चौ. छोटूराम
चौ. छोटूराम चौधरी छोटूराम स्वतंत्रता से पहले किसान नेता व चिंतक-विचारक थे। किसानों को जागृत करने के लिए उन्होंने जाट-गजट नाम का उर्दू साप्ताहिक प्रकाशित किया। इसमें किसानों में व्याप्त बुराइयों, अंधविश्वास, पांखड, अज्ञानता को दूर करने के लिए तीखे लेख लिखे। किसानों का शोषण करने वाले महाजनों, पंडा-पुजारी वर्ग व शासकों को भी खरी खरी सुनाई। हिंदू-मुस्लिम एकता, धार्मिक सद्भाव व भाईचारे के चैंपियन थे। वे भारत-पाक विभाजन के खिलाफ थे। किसानों को संगठित होने व किसान आंदोलन को तीव्र करने के लिए अनेक कार्य किए. यहां उनके लेखों की शृंखला प्रस्तुत की जा रही है। ये लेख तत्कालीन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समेटे हुए हैं और आज भी प्रासंगिक हैं। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी. satyashadhak foundation यूट्यूब चैनल पर उनके विचारों को सुन सकते हैं।
चौधरी छोटूराम का जीवन परिचय
जन्म: 24 नवम्बर 1881, दिल्ली-रोहतक मार्ग पर गांव गढ़ी-सांपला, रोहतक (हरियाणा-तत्कालीन पंजाब सूबा) में चौधरी सुखीराम एवं श्रीमती सिरयां देवी के घर। 1893 में झज्जर के गांव खेड़ी जट में चौधरी नान्हा राम की सुपुत्राी ज्ञानो देवी से 5 जून को बाल विवाह। शिक्षा: प्राइमरी सांपला से 1895 में झज्जर से 1899 में, मैट्रिक, एफए, बीए सेन्ट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से 1899-1905। कालाकांकर में राजा के पास नौकरी 1905-1909। आगरा से वकालत 1911, जाट स्कूल रोहतक की स्थापना 1913, जाट गजहट (उर्दू साप्ताहिक) 1916, रोहतक जिला कांग्र्रेस कमेटी के प्रथम अध्यक्ष 1916-1920, सर फजले हुसैन के साथ नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी (जमींदार लोग) की स्थापना 1923, डायरकी में मंत्राी 1924-1926, लेजिस्लेटिव काउंसिल में विरोधी दल के नेता 1926-1935 व अध्यक्ष 1936, सर की उपाधि 1937, प्रोविन्सियल अटॉनमी में मंत्री 1937-1945, किसानों द्वारा रहबरे आजम की उपाधि से 6 अप्रैल 1944 को विभूषित, भाखड़ा बांध योजना पर हस्ताक्षर 8 जनवरी 1945। निधन: शक्ति भवन (निवास), लाहौर-9 जन